सोमवार, 21 अगस्त 2017

घड़ी हुई जग जाने की

समय परिवर्तनशील बना  है घड़ी हुई जग जाने की
अपनी क्षमता को पहचानो बात यही समझाने की

सब स्वार्थ के पुतले यहाँ हैं मन में कितनी कटुता है
अपनापन भुलाया सबने मानव मूल्य न दिखता है
हिम्मत अपनी आज जगाओ उन्हें मार्ग पर लाने की

आज की पीढ़ी को तुम देखो कितनी दलदल में है धँसी
हर तरफ है अनाचार दुष्प्रवृति के जाल में है ये फँसी
तुमसे ही  आशाएँ हैं इनको सन्मार्ग दिखलाने की

तुम भारत माँ के सपूत हो कर  सकते हो काम बड़ा
उस जननी का मान बढ़ाओ जिसको तुमपे नाज़ बड़ा
है ज़रूरत आज हमें है  गुमराह को राह पे लाने की
@मीना गुलियानी

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