रविवार, 10 सितंबर 2017

ख्वाबों में मेरे आया करो

आ जाओ बारिश में थोड़ा भीग लें
इतना भी हमसे शर्माया न करो

चाँदनी बिखरी तेरे तब्बसुम पर
अपने जलवों को न छिपाया करो

दर्द जिंदगी भी कितना देती है
इसे आँसुओ में न बहाया करो

कुछ तुम्हारे लब खामोश रहते हैं
कभी खुलके तो मुस्कराया करो

जिंदगी वादों पे गुज़र जाती है
अपनी नज़रें न यूँ चुराया करो

हमसे इतना भी दूर मत जाओ
कभी ख्वाबों में मेरे आया करो
@मीना गुलियानी


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