गुरुवार, 7 सितंबर 2017

आज किसी ने चुपके चुपके

छेड़ दिया है मन वीणा का तार किसी ने चुपके चुपके
गीत से दिल गुञ्जार किया है चोरी चोरी चुपके चुपके

दिल को दिए हैं मीठे सपने
कुछ हैं पराये कुछ हैं अपने
वीणा का झंकार किया है
आज किसी ने चुपके चुपके

जानी मैंने  नैनो की भाषा
जागी फिर जीने की आशा
दिल को फिर गुलज़ार किया है
आज किसी ने चुपके चुपके

प्रीत को दिल में किसने जगाया
मृतप्राय को जीवन्त बनाया
स्पन्दन दिल में फिरसे किया है
आज किसी ने चुपके चुपके
@मीना  गुलियानी


1 टिप्पणी:

  1. " मृतप्राय को जीवन्त बनाया "
    सटीक सरंचना. सजीव वाक्य.
    धन्यवाद.

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