सोमवार, 16 अक्टूबर 2017

फिर मुस्कुराने लगी

जिंदगी और मौत की लड़ाई रूबरू देखी
 जिंदगी हावी कभी मौत का पलड़ा भारी
साँसें मेरी धीरे धीरे घुटने लगी
दिल की धड़कन मेरी रुकने लगी
काली बदरिया से मैं डरने लगी
बिजली चमकी तो सिहरने लगी
हवा से पत्ते भी खड़खड़ाने लगे
दिल को मेरे और भी डराने लगे
जाने फिर कैसे तुम पलटकर आये
जिंदगी को भी मेरी लौटा लाए
सांस धीमे से मेरी चलने लगी
दिल की धड़कन भी जादू करने लगी
जिस्म में फिर से जान आने लगी
जिंदगी मेरी फिर मुस्कुराने लगी
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी:

  1. 1JIVN BDAA HAI MRITYU SE,KYOKI ISKE REHTE MNUSHY BAHUT SI ACCHIAN KR SKTA HAI
    2 BHGVAAN KAA PRKAASH IS LIYE BDA HAI KI ISKE REHTE KOI BHI BURA KAAM NHIN HO SKTAA
    3YH HMAARE DUKHON PR PD KR UNHE JLA DETA HAI,JISSE HM BDI RAAHT MEHSOOS KRTE HAIN-ASHOK

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