मंगलवार, 14 नवंबर 2017

बनाने में जमाने लगे हैं

वो नज़रें हमसे ही चुराने लगे हैं
जिनको मिलाने में जमाने लगे हैं

किसी ने पाई हर ख़ुशी इस जहाँ में
हमें जिसको पाने में जमाने लगे हैं

अमावस की रातें  कटें एक पल में
कभी पल बिताने में जमाने लगे हैं

  खोजा जिसे वो मंजिल थी सामने
हमें  उसको पाने में जमाने लगे हैं

न टूटे कभी भी दिल के ये रिश्ते
इनको बनाने में जमाने लगे हैं
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी:

  1. bina mehnt milta kuch nhin
    jise hm gwane mein lge hain
    chlti hai pta
    us kuen ki kimt
    tb
    sookh jata hai vhmrig, marichikaon ke peechyhm
    jane lge hain-ashok

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