बुधवार, 15 नवंबर 2017

याद आया वो गुज़रा ज़माना

वो चिलमन उठाके तेरा मुस्कुराना
वो पलकें उठाना उठाके गिराना
खिलखिलाती हँसी होंठों में दबाना
तितली सी उड़ती फिरना इतराना

वो पहरों तेरा छुपके आँसू बहाना
तेरा यूँ मचलना बहाने बनाना
हथेली में अपने मुँह को छिपाना
कभी छुपके रोना कभी गुनगुनाना

वो तारों की छाँव में छिपना छिपाना
चेहरे को अपने पल्लू में छिपाना
आँखों से अपने बिजली को गिराना
पाँव में  पायल की रुनझुन बजाना

वो शाखों से लिपटकर बल खाना
जुगनू सी दमकना सिमट जाना
यादों की भूल भुलैया में खो जाना
मुझे याद आया वो गुज़रा ज़माना
@मीना गुलियानी 

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