शनिवार, 25 नवंबर 2017

सुर बन गुनगुनाते हैं

कुछ रिश्ते अनायास ही जुड़ जाते हैं
अनबूझ पहेली सी वो बन जाते हैं

न किसी परम्परा को वो मानते हैं
न कोई भेदभाव वो पहचानते हैं

बिन बोले ही दिल में  बस जाते हैं
दिल में नई प्रेरणा को जगाते हैं

विश्वास की इक डोर से बँध जाते हैं
अन्जान पर  दिल में रम जाते हैं

होठों की  मुस्कुराहट बन जाते हैं
नभ में बादल बन बरस जाते हैं

कागज़ की कश्ती बन तैरते हैं
अनमोल सुर बन गुनगुनाते हैं
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी:

  1. AATEY HAIN JIVN MEIN
    USEY SFL BNATEY AUR MEHKATE HAIN
    2 HMEN CHUDDA KR BURE KRMON SE
    SEEDHI RAAH DIKHATE HAIN
    3BINA KHE HI JO
    HMARI VYTHA KO SMJH JATE HAIN
    4MUKH SE KUCH NA KEHTY
    PR SMAADHAN HME BTLATE HAIN-ASHOK

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