रविवार, 28 जनवरी 2018

मौसम जैसे रूठ गया मुझसे

ये कौन गुज़रा है मेरी गली से
 साये की तरह गुज़रा इधर से

न जाने किस सोच में फिरता हूँ
वो शख्स दे गया ज़ख्म किधर से

कैसी हवा चली पर बेअसर होकर
ज़ख़्म दिल का भरा गया न उससे

बुत की तरह जी रहा था अभी तक
आईने की तरह बिखर गया मुझसे

साथ था वो  धूप छाँव का एहसास था
अब तो मौसम जैसे रूठ गया मुझसे
@मीना गुलियानी 

2 टिप्‍पणियां:

  1. लाजवाब मीना जी बहुत उम्दा।
    अपना साया तक इस जहाँ मे बेजार हो जाता हैं
    किसी और के तस्सवुर का क्या जो दिल तोड जाता है।

    जवाब देंहटाएं