शनिवार, 27 जनवरी 2018

दिल में दर्द सा भरता रहा है

तेरे आने का धोखा सा हुआ है
दिया ये दिल का जल रहा है

सुना है रात भर बरसा है सावन
ये दिल फिर भी प्यासा रहा है

वो आलम कैसा गुज़रा है मुझ पर
नशा सा कोई जैसे चढ़ता रहा है

कैसे ढूँढूँ तुझको मैं इस जहाँ में
दिल में दर्द सा भरता रहा है
@मीना गुलियानी


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