बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

मृत्यु की चाह

कैसे करूँ तेरा अभिनन्दन
मेरे हृदय से निकली सांसे
बन जाती हैं काले बादल
कैसे तुझे बिठाऊँ मन में
नयनों से बहता अश्रुजल
कैसे करूँ मिलन की चाह
विरह टीस समाई मन में
 दिखाऊँ कैसे जीवन की राह
मुझको है मृत्यु की चाह
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी:

  1. Jb jivn ho kthin
    Tum vrdan bn kr aati ho
    Kuch bhi nischit nhin is jg mein
    Yhi hmey smjhaati ho
    Bche hue sb kam kro poore
    Phir virh na iuhara kuch kr payega
    Mrtyunjy ka sahara le lo
    Sb kuch bdl jayega--ashok

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