मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

संग बिताए त्यौहार

बताओ भला कैसे हम भुलाएँ वो बचपन
 नानी का दुलार और प्यारा सा आँगन

वो गुड़िया का घर वो गर्मियों की दोपहर
वो कड़ाके की सर्दी और हवाओं का कहर

वो दादा दादी की कहानी हवा की रवानी
मम्मी से शिकायत डाँट पड़ती थी खानी

वो गेंद के टप्पे और वो  टॉफियों के रैपर
वो साईकिल पे कितने लगाते थे  चक्कर

वो खेतों में जाना और गन्ने भुट्टों को खाना
बारिश के दिनों में कागज़ की नाव चलाना

वो हलवा और चाट क्या हमारे थे ठाठ
वो हँसना हँसाना और दोहराते थे पाठ

कभी स्कूल की छुट्टी और दोस्तों से कुट्टी
कभी बचपन के झगड़े करते थे अट्टा बट्टी

याद आता है पापा और  दादा का प्यार
भला कैसे भूलेंगे  संग बिताए त्यौहार
@मीना गुलियानी


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