गुरुवार, 8 फ़रवरी 2018

गीत नए बुनने लगी

तिनके का मिला सहारा मुझे
ख़्वाब आशियाने के बुनने लगी
हरी पत्तियों की कोमलता लेकर
फिर से मैं जीवन नया जीने लगी
फूलों की शबनम तितली के रंग
चुराकर आशियाना सजाने लगी
चिड़िया सा उड़ता है मेरा मन
भंवरों की रोज़ सुनती हूँ गुँजन
मिट्टी की सौंधी खुशबु मुझको
स्वर्ण कण जैसे लगने लगी
जिसे मैं धरा से चुनने लगी
ख्वाबों में गीत नए बुनने लगी
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी:

  1. बहुत ही सुंदर।
    नैनो ने देखे ख्वाब
    हम सपने सजाने लगे
    तिनको का आशियाना
    फूलों से सजाने लगे।
    वाह वाह।

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