शनिवार, 17 मार्च 2018

वो लम्हा न मिला

मैं तन्हा हूँ तुम्हारा तसुव्वर है
वक्त कुछ ठहर सा गया है
तुम्हारे पाँव के निशान खो गए
मैं सोच रहा हूँ कि कहाँ जाएँ

तुम अभी अभी तो गुज़रे थे
तुम्हारी महक हवाओं में है
इस गहन सन्नाटों के बीच
तुम्हारे चहकने की आवाज़ है

मैंने अपनी उम्र यूँ ही गुज़ार दी
इसी बात का ग़म सालता है
मुझे सिर्फ तन्हाई ही मिली
फ़ुरक़त का वो लम्हा न मिला
@मीना गुलियानी 

2 टिप्‍पणियां:

  1. -TRANSLITERATION OF POEM-वो लम्हा न मिला—I DID NOT GET THE MOMENT
    मैं तन्हा हूँ तुम्हारा तसुव्वर है-IAM ALONE,I AM HAVING YOUR GLIMSE
    वक्त कुछ ठहर सा गया है-THE TIME HAS BECOME STATIONARY
    तुम्हारे पाँव के निशान खो गए- THE TIME HAS GRASSED THE WAYS
    FROM WHERE YOU PASSED

    मैं सोच रहा हूँ कि कहाँ जाएँ-I AM THINKING WHERE TO PROCEED

    तुम अभी अभी तो गुज़रे थे
    तुम्हारी महक हवाओं में है-YOUR SCENT IS PRESENT IN THE AIR
    इस गहन सन्नाटों के बीच-AMONG THE INTENSE SILENCE,THE SOUND OF YOUR CHIRPING EXISTS
    तुम्हारे चहकने की आवाज़ है

    मैंने अपनी उम्र यूँ ही गुज़ार दी-I WASTED MY ENTIRE LIFE PURPOSELESSLY
    इसी बात का ग़म सालता है-THE GRUDGE OF THIS THING HARASSES ME
    मुझे सिर्फ तन्हाई ही मिली-I GOT LONELINESS ONLY
    फ़ुरक़त का वो लम्हा न मिला-I DID NOT GET GET,THE MOMENT-OF IDLENESS
    ASHOK KUMAR

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