शनिवार, 17 मार्च 2018

नित दर्शन की प्यासी

प्रभु जी तेरी शरण पड़ी है दासी
भव पार करो काटो जम की फाँसी

मैंने कष्ट बहुत है पाया
भटक भटक जून चौरासी
मानुष का तन पाया
मिटादो दुखों की ये राशि

मैंने बहुत पाप है कीन्हा
संसारी भोगों की आशा ने
दुःख बहुत मुझे  दीन्हा
ये कामना है सत्यानाशी

प्रभु जी मैंने भक्ति नहीं कीन्हि
झूठे भोगों की तृष्णा में
उम्र सारी खो दीन्ही
दुःख मेरे काटो अविनाशी

प्रभु जी अब सारी आशा टूटी
तेरे चरण की धूलि लागे
मुझे एक संजीवनी बूटी
रहूँ नित दर्शन की प्यासी
@मीना गुलियानी

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