मंगलवार, 20 मार्च 2018

माता की भेंट -छोड़ दिया जग सारा

मेरी मैया मेरा तुझ बिन दूजा न और सहारा
मेरी नाव भंवर में डोले माँ सूझे नहीं किनारा

तुम आके पार लगाओ माँ आप ही जान बचाओ
मुझे पार करो इस भव से नैया को पार लगाओ
माँ तेरे भरोसे पर ही मैंने जीवन को है गुज़ारा

माँ मैंने यही सुना है तू विपदाओं को मिटाती
माँ सबके दुखड़े हरके रोतों को तू है हँसाती
मेरी भी विनती सुनलो इस जग से मैं तो हारा

तुम अर्ज़ सुनो माँ मेरी सुनलो मत करना देरी
माँ शेर सवारी करके रखना तू लाज मेरी
तेरा ही सहारा लेकर माँ छोड़ दिया जग सारा
@मीना गुलियानी



4 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरूवार 22 मार्च 2018 को प्रकाशनार्थ 979 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद

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