शनिवार, 7 अप्रैल 2018

सबकी नज़रें टिकी यहाँ पर

दिल पे जब हो बोझ ये भारी
कैसे कोई मुस्कुराए दम भर

शाखों पर भी वीरानी है
नहीं कोई हरियाली इन पर

कैसे कोई पंछी चुगेगा दाना
उनके पँख भी कटे यहाँ पर

कैसे निकलें घर से बाहर
सबकी नज़रें टिकी यहाँ पर
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें