रविवार, 20 मई 2018

प्रभु दर्शन हो जायेँगे

तुम अपने अंतर्मन की खिड़की खुली रखना
ताकि किसी दुखी मन की पुकार सुन पाओ
जब कभी घुमड़ते हुए सवालात के बादल
तुम्हारे हृदय पटल पर छा जाएँ मन भटकाएं
 मन का दीप जला लेना अन्धकार मिटा लेना
आसमान के तारे भी तुम्हें राह दिखायेंगे
तुम्हारे अंतर्मन में छिपे डर को दूर भगायेंगे
चाहे बिजली कड़के चाहे घनघोर बादल गरजें
पर तुम कभी अपने पथ से विचलित मत होना
तुम्हारे लिए सब बंद दरवाज़े स्वत; खुल जायेंगे
फिर जब नेत्र मूँद लोगे तुम प्रभु दर्शन हो जायेँगे
@मीना गुलियानी

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