शनिवार, 5 मई 2018

परिवर्तित करना होगा

रे मन मत हो निराश
तुझे इस अन्तर के
अन्धकार  को चीरकर
बाहर निकलना होगा
तुझे उगते सूरज जैसे
आगे बढ़ना ही होगा
चाहे दिल तुम्हारा टूटे
चाहे कोई तुमसे रूठे
सब कुछ भुलाकर तुम्हें
नए रिश्तों को गढ़ना होगा
आगे बढ़ोगे तो नए
रास्ते भी खुलने लगेंगे
कई  अपने बेगाने भी
इस पथ में तुमको मिलेंगे  
उगते हुए सूरज को भी
इक दिन ढलना होगा
इस सत्य को पहचानो
जड़ता को चैतन्य में
परिवर्तित करना होगा
@मीना गुलियानी



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