रविवार, 17 जून 2018

अपनी राह चल दिया

कल एक फूल ने पूछा मुझसे
तुम क्यों उदास चुपचाप हो
बोला तुम अपनी पीड़ा मुझसे कहो
यूँ न गुमसुम से तुम बैठे रहो
दिल है क्यों हैरान और पशेमान
किसने किया है तुम्हें परेशान
अपनी उलझनें बताओ तो ज़रा
क्यों खामोश रहते हो बताओ ज़रा
मैं चुपचाप सब सुनता ही रहा
अब मुझे लगा कोई मिल गया
ग़म हल्का करलूँ यकीं मिल गया
मैं चुपके से चला पगडंडी के पार
धीरे धीरे से आई वो ठंडी बयार
छूके मुझे होले से कानों में बोली
कुछ बातें मुझसे करो हमजोली
जाने क्या नशा सा छाने लगा
उसकी बातें सुन मुस्कुराने लगा
उसने हल्की सी की सरगोशियाँ
वादियों में मेरी गूँजी सिसकियाँ
मेरा सारा ग़म आँसुओं में ढल गया
मुस्कुरा के मैं अपनी राह चल दिया
@मीना गुलियानी

1 टिप्पणी:

  1. दुनिया की सब से खातर न अस्त्र सुदरसन अब भारत की जगनाथा मंदिर मे बहुत जल्दी पहचा सकत्या है, २०१९ की पहिला दिन आप देखा सकत्या हो या अस्तर को,काली जग की संत्या हो रहीहै, या अस्त्र डिजिटल सिस्टम की जरिया से तैयार हो रहिहो, हिंदुस्तान की बैज्ञानिक की अद्भूत्यै बिज्ञान की जरिया से,कृष्णन की सुदरसन से १०० गुना सकती साली या अस्त्र दुनिया की नजर बदल देगा, बनजेना१९६६@जीमेल.कॉम, ीतड़कम्पनी०१@जीमेल.कॉम,8527635987

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