सोमवार, 18 जून 2018

निश्छल हृदय से है

विश्वास है एक आस
भरोसा है एक अहसास
कुछ पाने का कुछ खोने का
क्षणिक भर छलना बन रहने का
तेरा ही संग पाने का तू मेरा है
इसकी अनुभूति ऐसी है जैसे
पंछी को परों से
भक्त को ईश्वर से
शिशु को माँ से
पत्ते को डाली से
शब्द को आवाज़ से
आवाज़ को संगीत से
संगीत को आराध्य देव से
यथार्थ को धरातल से
प्रेमी को निश्छल हृदय से है
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें