बुधवार, 20 जून 2018

कोई गुनगुनाता है

अरे पपीहे तू क्यों इतना मुझे रुलाता है

जुबां पे तेरी पी पी नाम क्यों आता है
सदा ऐ ग़म की किसको तू सुनाता है

जो पहले से दुखी हो क्यों उसे सताता है
जो खुद ही जल रहा हो क्यों जलाता है

तू ये रोज़ आँसू किसके लिए बहाता है
जो सुनता नहीं क्यों दर्द उसे बताता है

चला जा  यहाँ से मत बर्बाद कर जिंदगी
कारवाँ तेरी मुहब्बत का लुटा जाता है

बसा ले आशियाँ जहाँ मिले सुकूँ का निशाँ
बसाले बस्ती ख़ुशी से कोई गुनगुनाता है
@मीना गुलियानी

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