शुक्रवार, 22 जून 2018

अंत भूलता नहीं

मेहनतकश इंसान कभी घबराता ही नहीं
ज़मीं हो या आसमां थर्राता वो नहीं

सर झुकाकर रहना सीखा है उसने
कभी गुरूर से गर्दन तानता वो नहीं

जानता है वक्त लगता बड़ा होने में
इस पर भी हार मानता ही वो नहीं

उसकी मेहनत जब भी रंग लाती है
बावजूद इसके भी इतराता वो नहीं

अपनी हैसियत का खूब पता है उसे
माटी में मिलना है अंत भूलता नहीं
@मीना गुलियानी 

3 टिप्‍पणियां:

  1. jo nr dukh mein na ghbraye

    tofanon rhe aadig,bdhta hi jaye

    lgn jiski pth ki kthinayon se kbhi na drti

    vijay tosda hi uska vrn hai krtin-ashok

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  2. USKI LO MEIN BHGVAAN BHI USKA SAATH DETA HUA THA CHL RHA THA
    THE PATH WAS DIFFICULT.HE WAS TRAVELING ON THE UNEVEN ROAD FULL OF OBSTACLES.HE WAS HAING FAITH INHIS HEART,HE WAS ADVANCING TOWARDS HIS DESTINATIon-ashok

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