बुधवार, 4 जुलाई 2018

दो मसले

बस ये दो मसले 
जिंदगी भर न हल हुए 
न नींद पूरी हुई 
न ख़्वाब मुकम्मल हुए 
वक्त ने कहा कि काश 
थोड़ा और सब्र होता 
सब्र ने कहा कि काश 
थोड़ा और वक्त होता 
बचपन में पैसा जरूर कम था 
पर उस बचपन में दम था 
अब पास में महँगा मोबाईल है 
पर गायब वो बचपन की स्माईल है 
ऐसी बेरुखी देखी है हमने 
कि लोग आप से तुम तक 
तुम से जान तक और 
जान से अनजान बन जाते हैं 
@मीना गुलियानी 

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