गुरुवार, 5 जुलाई 2018

तुझे पा लूँगा

मचल रही यूँ यादें तेरी
लहर लहर जैसे झील का पानी
मैंने कभी सोचा था कि
सच में न सही झूठ ही सही
यथार्थ में न सही ख़्वाब में सही
मैं अवश्य तुम्हें पा लूँगा
पर तू सच ही निकली
जिंदगी ख्वाब ही रही
मैं अपने तसव्वुर के पुल बाँधूगा
तू न सही तेरा अक्स ही सही
अपनी यादों में ही सही तुझे पा लूँगा
@मीना गुलियानी 

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