मंगलवार, 14 अगस्त 2018

खुशियों का पैगाम आयेगा

वक्त का हर दौर गुज़र जायेगा
ग़म भी ज्यादा न ठहर पायेगा

कोई कहदे उनसे कभी आके मिलें
दूर कर दूँगी मैं सब शिकवे गिले
कोई दर्द न दिल में ठहर पायेगा

जबसे तुम रूठकर यहाँ से गए
सपने सब काँच से बिखर गए
गुलशन बिन तेरे उजड़ जायेगा

तेरी परछाईं मुझसे बात करती है
तू नहीं पास तन्हाई बात करती है
कब मेरी खुशियों का पैगाम आयेगा
@मीना गुलियानी 

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम की गहरी अनुभूति लिए सुंदर रचना है ...
    जब अपना कोई साथ नहि होता तन्हाई उसे यादों में के आती है ... ये तो रीत है जीवन की ...

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