सोमवार, 13 अगस्त 2018

डोले मन और मेरे सपने

बावरा मन देखता है कैसे कैसे सपने
कभी लगते बेगाने से कभी लगे अपने

सपनों में देखती हूँ सुंदर सी इक नदिया
पास में उसके है मेरी फूलों वाली बगिया
इन्हीं फूलों से बुनती हूँ ख़्वाब मैं अपने

प्यासी प्यासी अखियाँ भी देखती हैं राहें
आजा पिया कबसे तेरी राह ये निहारें
प्यासा प्यासा सावन न बीते बिन अपने

काली काली बदरी है छाई मोरे अंगना
कोई संदेशा पिया का लाई मोरे अंगना
पुरवइया संग डोले मन और मेरे सपने
@मीना गुलियानी 

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