शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

धरती का सुंदर श्रृंगार

आज धरती ने किया श्रृंगार
कुंकुम लगाई है माथे पर
हरित रंग के वसन पहनकर
घटा से कजरा चुराकर
अपने नैनों में लगाकर
फूलों के कंगन हैं पहने
जुगनू जैसे लगे चमकने
कानों में धान की बाली
शोभा है कैसी मतवाली
पैरों के नूपुर की शोभा
करधनी ने भी मन को मोहा
बिजुरी जैसी लगी दमकने
हीरे मोती लगे चमकने
झूले पड़े सावन की फुहार
धरती को मिली ख़ुशी अपार
नाचे मयूरा पपीहा करे पुकार
उमंग लेकर आई है बयार
वर्षा  से ही पूर्ण होता है
धरती का सुंदर श्रृंगार
@मीना गुलियानी

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