मंगलवार, 18 सितंबर 2018

मेरी मंजिल कहाँ है

हर तूफ़ां को इशारा मिलेगा
हर लहर को किनारा मिलेगा
उठेंगीं मोजें समुन्द्र में जब भी
किश्ती को लेकिन धारा मिलेगा

हम वो नहीं बैठ जाएँ जो थककर
अभी हौसला और यकीं है खुद पर
चाहे लाख  तूफ़ां राहों में आएँ
पूरा करेंगे जो शुरू किया है सफर

हैं फौलादी बाजू उमंगें जवां हैं
दिलों में उमड़ा हुआ तूफ़ां है
ये सफर तो जैसे इक इम्तहाँ है
बताए कोई मेरी मंजिल कहाँ है
@मीना गुलियानी

4 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 20 सितम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1161 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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  2. ये सफर तो जैसे इक इम्तहाँ है
    बताए कोई मेरी मंजिल कहाँ है
    सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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  3. हर तूफ़ां को इशारा मिलेगा
    हर लहर को किनारा मिलेगा
    उठेंगीं मोजें समुन्द्र में जब भी
    किश्ती को लेकिन धारा मिलेगा...सुन्दर भाव

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  4. " हैं फौलादी बाजू उमंगें जवां हैं
    दिलों में उमड़ा हुआ तूफ़ां है "
    ।। बहुत ही सुंदर रचना ।।
    ☺️

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