बुधवार, 19 सितंबर 2018

तू जाने ना

कैसे दिन बीते कैसे कटी रतियाँ तू जाने ना
नैना बरसें जागूँ सारी रतियाँ तू माने ना

एक एक पल ये बरस सम लागे
व्याकुल नैना रोयें अभागे
तुम बिन कौन सुने इस दिल की
पीर जो अंतर् में मोरे जागे
कासे कहूँ पिया दर्द मैं अपना तू जाने ना

क्या हालत है तुम बिन मोरी
कबसे राह देखत हूँ तोरी
अब तो विनती सुनलो मोरी
बावरी हो गई विरह में तोरी
दर्द से दूखन  लागि मोरी अखियाँ तू जाने ना
@मीना गुलियानी 

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही शानदार

    क्या हालत है तुम बिन मोरी
    कबसे राह देखत हूँ तोरी
    अब तो विनती सुनलो मोरी
    बावरी हो गई विरह में तोरी

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  2. विरह के दर्द को बाखूबी शब्दों में उतारा है ...
    बहुत खूब लिखा है ....

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  3. नैना बरसें जागूँ सारी रतियाँ तू माने ना...
    बैरी भए प्रीतम है बडे बेरहम
    पलक्षिण कटे ना जिया माने ना......

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