गुरुवार, 20 सितंबर 2018

व्याकुल जियरा है तुम बिन

उलझ गए जबसे तोसे नैन
मन ने तनिक न पायो चैन
श्यामल रंग बदरी से चुराया
साँवरा तू मेरे मन में समाया
हँस हँस करे तू मोसे मीठे बैन
तेरी बन्सी मोरा जियरा चुराए
दिल मेरा बिन मोल बिका जाए
इसके मीठे सुर मन को लुभायें
आऊँ जब पनघट पे संग सखियाँ
बावरी बनायें कान्हा तोरी बतियाँ
सखियाँ करत मोसे हँसी ठिठोली
कान्हा तूने मति हर लीन्ही मोरी
चकोरी ज्यों तड़पे चंदा के बिन
ऐसे व्याकुल जियरा है तुम बिन
@मीना गुलियानी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें