शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

रुख़सत अब दे दीजिए जनाब

ये भोली चितवन और उस पर हिज़ाब
दिल  बोला वल्लाह क्या बात है जनाब

आये हो तुम दूर से बैठो ज़रा
कुछ तुमसे बातें करलें ज़रा
अच्छी शायरी कर लेते जनाब

जाने की जल्दी क्यों तुमको पड़ी
इतनी जल्दबाज़ी भी अच्छी नहीं
थोड़ा इत्मिनान कीजिए जनाब

 आयेंगे फिर भी सुनिए  हुज़ूर
ख़िदमत का मौका देंगे ज़रूर
रुख़सत अब दे दीजिए जनाब
@मीना गुलियानी



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