रविवार, 23 दिसंबर 2018

बिन मेरे गुज़र तेरा

दरिया किनारे पे भी प्यासा मैं रहा
तुम लहर बनकर मचलती ही रही

तुम मुझसे बहुत दूर चले आए
उम्मीद की शमा भी बुझने चली

मेरा तुम जिक्र न करना किसी से
रह गया रिश्ता क्या अजनबी से

अगर ढूँढ लेते तो मंजिल भी पा जाते
तुमने ढूँढना चाहा ही नहीं पता मेरा

दुआ तुम करो निज़ात पाने की
हो न पायेगा बिन मेरे गुज़र तेरा
@मीना गुलियानी 

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