मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

जल रही होगी

चाँद छुप गया है बदली में
अब वो पहलू बदल रही होगी

सुबह के वक्त इन्हीं वादियों में
वो मेरे साथ चल रही होगी

घने पेड़ों की घनी छाँव तले
उसकी हसरत मचल रही होगी

शाम को झिलमिलाते सितारों तले
दबे पाँव घास पे वो चल रही होगी

रात होने को आई है अब तो
झरोखे में कंदील जल रही होगी
@मीना गुलियानी 

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