सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

नित दर्शन की प्यासी

प्रभु जी तेरी शरण पड़ी है दासी
भव पार करो काटो यम की फांसी

मैंने कष्ट बहुत है पाया
भटक जून चौरासी
मानुष का तन पाया
मिटाओ दुखों की राशि

मैंने बहुत पाप है कीन्हा
संसारी भोगों की आशा ने
दुःख बहुत मुझे दीन्हा
ये कामना है सत्यानाशी

प्रभु जी मैंने भक्ति नहीं कीन्ही
झूठे भोगों की तृष्णा में
उम्र सारी खो दीन्हीं
दुःख मेरे मेटो अविनाशी

प्रभु जी अब सारी आशा टूटी
तेरे चरणों की धूलि लागे
 मुझे एक संजीवनी बूटी
रहूँ नित दर्शन की प्यासी
@मीना गुलियानी

1 टिप्पणी:

  1. मैंने कष्ट बहुत है पाया
    भटक जून चौरासी
    मानुष का तन पाया
    मिटाओ दुखों की राशि...बहुत सुन्दर सखी
    सादर

    जवाब देंहटाएं