ख़्वाबों की खिड़कियाँ खुल गईं
नींद मेरी आँखों से उड़ गई
खुशबु हवाओं में बिखर गई
तेरी चुनरिया सरक जो गई
बदन में सिहरन सी भर गई
पेड़ से बेल सी तू लिपट गई
तो धड़कन मेरी भी बढ़ गई
@मीना गुलियानी
नींद मेरी आँखों से उड़ गई
खुशबु हवाओं में बिखर गई
तेरी चुनरिया सरक जो गई
बदन में सिहरन सी भर गई
पेड़ से बेल सी तू लिपट गई
तो धड़कन मेरी भी बढ़ गई
@मीना गुलियानी
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