रविवार, 24 नवंबर 2019

कोमल धूप का स्पर्श मिला

कोमल धूप का स्पर्श मिला जब
धरती स्वर्ण सी जगमगा उठी
धानी चुनरिया सरसों की बाली
पहनकर धरा भी इठला उठी
माथे पे सिन्दूरी आभा मुकुट
सोहे धरा के पायल छनका उठी
चमके धान की फसल कण कण
शबनम से मोती दमका उठी
शोभा वर्णन करा न जाए वो
हीरे मोती भी अब दमका उठी
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें