शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

आँखों को सपने दिखाए

घर की वीरानी मुझसे सवाल करती है
सूनी दीवारें और ये छत भी पूछती है
कहाँ गए वो दिन सुहाने गाते थे गाने
कहाँ गईं वो शामें चलते थे हाथ थामें
अब दम  घुटता है पँख पखेरू उड़ता है
कोई रूठे पल लौटाए गुज़रे ज़माने बुलाए
कोई नींद सुलाए आँखों को सपने दिखाए
@मीना गुलियानी 

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