गुरुवार, 14 नवंबर 2019

साँसों के साथ चलते हैं

बचपन के ख़्वाब आँखों में तैरते हैं
वो दिन हमेशा हमें याद रहते हैं
वो लम्हें हमें कभी गुदगुदा जाते हैं
 वो लम्हे हमें हँसाते कभी रुलाते हैं
बचपन में पानी में किश्ती तैराते थे
झूला झूलते थे तितलियाँ पकड़ते थे
कभी रूठते कभी दूसरे को मनाते थे
दिल में कोई द्वेष भेदभाव नहीं था
दिलों में नफरत नहीं थी प्यार था
बालू मिट्टी के घरोंदे बनाकर सजाते थे
बचपन के वो ख़्वाब दिलों में पलते हैं
धड़कनों में साँसों के साथ चलते हैं
@मीना गुलियानी 

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