उठो दिन निकल गया है
सूरज उग गया है
ऊषा पानी भरने गई है
तारा पनघट में वो
अपनी मटकी डुबो रही है
विभावरी बीत चुकी है
तुम भी जाग जाओ
पुरुषार्थ में लग जाओ
@मीना गुलियानी
सूरज उग गया है
ऊषा पानी भरने गई है
तारा पनघट में वो
अपनी मटकी डुबो रही है
विभावरी बीत चुकी है
तुम भी जाग जाओ
पुरुषार्थ में लग जाओ
@मीना गुलियानी
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