शनिवार, 14 दिसंबर 2019

बुझने न देना

जो आग तुम्हारे भीतर सुलगी है
उसे धधकने देना बुझने न देना
तुम्हारी जिंदगी की गाडी भी
उसी आग से ही तो चलती है
अगर वह आग बुझ गई तो तुम
अपने गंतव्य तक न पहुँच पाओगे
बीच रास्ते में ही कहीं रुक जाओगे
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें