शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

मंज़र बदला है पर्यावरण का

मंज़र बदला है पर्यावरण का
बादल बिन बरसे लौट गए
धरा भी बहुत ही प्यासी है
किसानों में छाई उदासी है
वृक्षों ने सब पत्ते टपकाये
हरियाली कहीं नज़र न आये
पता नहीं कब बरखा रानी
सुध ले और बरसाए पानी
@मीना गुलियानी

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