गुरुवार, 6 फ़रवरी 2020

बात पहुंचती नहीं

आजकल उन तक मेरी
बात पहुँचती ही नहीं है
पहले तो बिना कुछ कहे
वो सब जान जाते थे पर
अब आते जाते भी कम हैं
फोन पर नेटवर्क नहीं होता
कभी अधिक व्यस्त होते हैं
कैसे उनको बताऊँ उन बिन
 इक पल जीना भी दुश्वार है
पवन के झोंकों से कहूँ या
बादलों को दूत बनाऊँ कैसे
अपना संदेश उन तक भेजूँ
मैं तो चंदा बिन चकोरी
जैसी बन चुकी हूँ तारे ही
प्रतीक्षा में गिनती रहती हूँ
जाने कब वो मेरी सुध लेंगे
@मीना गुलियानी



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