बहुत कुछ हमें सहना पड़ता है
तब जाकर व्यक्तित्व निखरता है
भावनाओं का ज्वारभाटा उठता है
संवेदनाओं की आंधी चलती है
विद्रोह के स्वर मुखर होते हैं
मिथ्यारोपण भी होते रहते हैं
सबको शांत करना पड़ता है
कमल सा खिलना पड़ता है
@मीना गुलियानी
तब जाकर व्यक्तित्व निखरता है
भावनाओं का ज्वारभाटा उठता है
संवेदनाओं की आंधी चलती है
विद्रोह के स्वर मुखर होते हैं
मिथ्यारोपण भी होते रहते हैं
सबको शांत करना पड़ता है
कमल सा खिलना पड़ता है
@मीना गुलियानी
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