जिंदगी तुझसे जो जख्म मिले
उसके निशान अभी भी बाकी हैं
कुछ घाव तो शायद भर भी गए
पर कुछ अभी भरने बाकी हैं
जिस्मों के निशान मिट भी गए
पर रूह पे निशान अभी बाकी हैं
कितने ही ख़्वाब देखे थे हमने
क्यों जुदा हुए जो थे कभी अपने
जुल्म नफरत के हिसाब बाकी हैं
@मीना गुलियानी
उसके निशान अभी भी बाकी हैं
कुछ घाव तो शायद भर भी गए
पर कुछ अभी भरने बाकी हैं
जिस्मों के निशान मिट भी गए
पर रूह पे निशान अभी बाकी हैं
कितने ही ख़्वाब देखे थे हमने
क्यों जुदा हुए जो थे कभी अपने
जुल्म नफरत के हिसाब बाकी हैं
@मीना गुलियानी
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