बुधवार, 22 अप्रैल 2020

चलते रहो

चलते रहो  यही जीवन की नियति है
रुकना इस जीवन की भी परिणति है
जीवन  कठिन तपस्या की स्थिति है
यह परीक्षा की भी घड़ी है निडर रहो
कर्मक्षेत्र से न विचलित हो चलते रहो
@मीना गुलियानी 

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