बुधवार, 22 अप्रैल 2020

धरती का दुःख

धरती का दुःख बहुत  असहनीय है
फिर भी वो सब चुपचाप सहती है
बढ़ती जनसंख्या का भार ढोती है
जल दोहन करने से बंजर होती है
रसायन जल प्रदूषण भी सहती है
परमाणु बम के परीक्षण सहती है
कम वृष्टि,अति बृष्टि ओला वृष्टि
इनसे भूमि भी प्रभावित होती है
पेड़ काटे जाने का दुःख सहती है
इससे धरती की ऊष्मा बढ़ती है
धरती माँ समान पालन करती है
@मीना गुलियानी 

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