बुधवार, 6 मई 2020

मिट न सके वो फ़साने - कहानी

यह घटना लगभग २० वर्ष पुरानी है।   हमारे गाँव में रंजना और कीर्ति दोनों दसवीं कक्षा की छात्राएँ थीं। पढ़ने लिखने में , खेल कूद में , गायन में बहुत ही निपुण थीं।   रंजना एक साहूकार की बेटी थी और कीर्ति एक किसान की थी।  दोनों में अच्छी दोस्ती थी।   दोनों का घर पास पास में ही था।   उनका स्कूल से घर तक का आना जाना, खाना पीना, पढ़ाई करना, खेलना सब साथ साथ ही होता था।   उन्हीं के पड़ोस में राम और श्याम दो दोस्त भी रहते थे।   राम तो बहुत शांत और मेधावी था जबकि श्याम उसका उल्टा यानि पढ़ाई में फिसड्डी सिर्फ खेलने में और बातों में चालाक।  लड़कियों को वो बातों में ही पटाना उसकी दिनचर्या का एक हिस्सा बन चुकी थी।  काफी समय से उसकी अभिलाषा थी कि इन  दोनों को भी ऐसे ही पटाया जाए।  सुंदर  कम पढ़ा लिखा था वो गाड़ियों के गैराज में मिस्त्री का काम करता था।  श्याम और सुंदर की अच्छी पटरी बैठती थी।  राम ने बहुत बार उसको समझाने की कोशिश की थी कि सुंदर अच्छा लड़का नहीं है।  उससे दोस्ती मत बढ़ाओ पर श्याम ने कहना नहीं माना।  अब वो आते जाते रंजना और कीर्ति पर डोरे डालने की फिराक में खोया रहता था।   एक दिन बहुत ही जोर से बारिश हुई रंजना पूरी भीग गई थी कीर्ति ने एक मकान के छप्पर की आड़ ले ली थी इसलिए वो पूरी तरह से नहीं भीगी थी।   रंजना का यौवन का उभार श्याम को लुभा रहा था।  वो उसे गाने गाकर छेड़ने लगा।  कीर्ति ने रंजना से जल्दी कदम बढ़ाने को कहा पर वो तो धीरे धीरे अपनी मस्ती भरी चाल से चलती रही।  श्याम ने रंजना की चुन्नी खींच ली।   रंजना का भी थोड़ा श्याम की तरफ झुकाव होने लगा था इसलिए उसने श्याम को कुछ नहीं कहा।   नज़रें चुराकर मुस्कुरा दी अब क्या था।  श्याम इसी मौके की तलाश में था अब वो रंजना से फेस बुक पर भी दोस्त बन गया और रोज़ फोन भी करने लगा।

कीर्ति का लक्ष्य कक्षा में प्रथम आने का था इसलिए वो इन बातों से दूर रहती थी।  लेकिन रंजना अपने साथ ही उसे ले जाती थी।  लंच के समय श्याम रंजना को लेकर एक पेड़ के नीचे बैठ जाता और धीरे धीरे उसका हाथ
अपने हाथो में ले लेता।   रंजना ने कोई ऐतराज़ नहीं किया.  उसका यह पहला प्यार था पर उसको इन सब बातों का इतना ज्ञान भी नहीं था इसलिए वो उसके चंगुल में फसती जा रही थी।  कीर्ति तो कुछ दूरी पर ही बैठी रहती थी।  उसने कितनी बार उसे प्यार से समझाया भी था कि कहीं उसके घर से कोई देख न ले।  लेकिन रंजना ने उसकी बात नहीं मानी। एक दिन सुंदर से मिलकर श्याम ने भी एक प्लान बनाया कि जब उसकी गैराज में कोई न हो गया तो उसे बता दे।   आखिरकार एक दिन श्याम को मौका मिल गया तो उसने फोन पर रंजना को बुला लिया और उसे पीने के लिए कोल्ड ड्रिंक में कुछ मिलाकर दे दिया. रंजना ने उसे नासमझी में पी  लिया।  अब
श्याम ने उससे कुछ छेड़खानी तथा अश्लील हरकत करते हुए फोटो भी खींच ली।  रंजना तो कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद बेहोश थी।  जब होश में आई तो श्याम ने उसे क्लिपिंग दिखाते हुए ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।   अब
कीर्ति की  बातें उसकी समझ में आ रही थीं पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। 

रंजना अब स्कूल जाने से भी कतराने लगी।  रोज़ कोई न कोई बहाना बना देती।  श्याम ने अपना व्यापार को चलाने के लिए उससे दो लाख रूपये की मांग की।   रंजना ने कहा मेरे पास पैसे नहीं हैं तो उसने कहा मैं वो क्लिपिंग तुम्हारे घर वालों को दिखा दूंगा।   अब वो बहुत परेशान हो गई उसने एक घर वालों के नाम पत्र लिखा उसमें उसने सारी  घटना का वर्णन कर दिया सबसे माफ़ी मांगी और चुपचाप घर से निकलकर पास ही रेल के नीचे आकर ख़ुदकुशी कर ली।   कीर्ति को भी बहुत दुःख हुआ अब उसका रिजल्ट निकला तो कक्षा में प्रथम आई थी।   राम भी अपनी कक्षा में प्रथम आया था।   कीर्ति ने अब जल्दी व्यवसास पाने के लिए तकनीकी शिक्षा करना उचित समझा।   अब उसने स्टेनोग्राफी  पास कर ली और नौकरी भी लग गई।   उधर राम ने भी किसी संस्थान में नौकरी पा ली थी।   दोनों के माता पिता के अच्छे संबंध थे। कीर्ति और राम का  कार्यालय पास पास ही था।  दोनों एक ही बस में जाया करते थे।  धीरे धीरे उन दोनों के माता पिता ने उनका रिश्ता भी पक्का कर दिया।  शादी भी हो गई अब राम और कीर्ति की जब आपस में बात हुई तो  राम को भी पता चल गया कि कीर्ति तो मन ही मन उसे चाहती थी और यह प्रेम बेल परवान चढ़ती गई और अपनी चरम सीमा को प्राप्त कर ही गई।  इनका प्रेम आत्मिक था और यह एक अमिट  फ़साना बन गया।
@मीना गुलियानी


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