मंगलवार, 2 जून 2020

दर्द की एक भाषा होती है

दर्द की एक भाषा होती है
सभी को समझ नहीं आती
आँखों से वो पढ़ी जाती है
सिर्फ एक एहसास होता है
जो दिल में छुपा रहता है
यह एक मूक भाषा होती है
दिलवाला इसे जान लेता है
वो इसे खूब पहचान लेता है
सीने से एक आह होती है
दर्द तो  बेजुबान होती है
 सिसकी भी साथ होती है
होठों पे शिकवा दिल में तो
बस इक फरियाद होती है
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें