जिंदगी की तन्हाई कम नहीं होती
तुम्हारी जुदाई भी सहन नहीं होती
सोचा न था हमें ऐसे जीना पड़ेगा
जियेंगे मगर घुट घुटके जीना पड़ेगा
जिंदगी के सफर पर हम चल पड़े हैं
राहों में कितने ही काँटे बिखरे पड़े हैं
दुनिया ने कितने जख्म हमको दिए हैं
उफ़ तक न की चुपके जख्म सिए हैं
राहों पे चलते चलते परछाइयाँ बोलती हैं
हम तो चुप रहते हैं तन्हाईयाँ बोलती हैं
@मीना गुलियानी
तुम्हारी जुदाई भी सहन नहीं होती
सोचा न था हमें ऐसे जीना पड़ेगा
जियेंगे मगर घुट घुटके जीना पड़ेगा
जिंदगी के सफर पर हम चल पड़े हैं
राहों में कितने ही काँटे बिखरे पड़े हैं
दुनिया ने कितने जख्म हमको दिए हैं
उफ़ तक न की चुपके जख्म सिए हैं
राहों पे चलते चलते परछाइयाँ बोलती हैं
हम तो चुप रहते हैं तन्हाईयाँ बोलती हैं
@मीना गुलियानी
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