रविवार, 3 मई 2015

गुरुदेव के भजन-183 (Gurudev Ke Bhajan183)




पिलादे ओ बाबा अपने नाम का प्याला दिल मेरा पीकर बने मतवाला 

बाबा जी तेरे दर पे रोज़ मै आऊँ मुझे न भुलाना बाबा गुण तेरे गाउँ 
तेरी छवि ने बाबा दिल हर डाला 

तेरे प्यारे रूप की महिमा है न्यारी सुध  बुध हरले ऐसी छवि प्यारी 
रूप तेरे ने मस्ताना कर डाला 

तेरे दर आके संताप मिट जाये करना कृपा ओ बाबा दर तेरे आएं 
दमके तेरा रूप जैसे सूरज का उजाला 

अजब निराला तूने भवन बनाया सबने तुझी से बाबा वरदान पाया 
पिलादे त्रिकुटी का अमृत भर भर प्याला 




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